एक जाट जाट 2 जाट मौज 3 जाट जाट कम्पनी जाट फौज  कहावत के पीछे की कहानी


बात सन 1950 के आसपास की है दिल्ली में सेना के खेल मोहत्सव चल रहे थे इसी में शामिल होने जा रही जाट रेजिमेंट के ट्रक का रास्ते मे एक्सीडेंट होगया जिसमे जाट रेजिमेंट के कुछ खिलाड़ी घायल होगये और जो चोट से बच गए थे वो भी साथी खिलाड़ियों  की स्तिथि देख मानसिक अवसाद में चले गए
जब यह सूचना खेल के मैदान में पहुँची तो प्रतिद्वंद्वी टीमों ने सोचा कि चलो अबकी बार तो जीत हमारी होगी औऱ ट्रॉफी पर हमारा कब्जा होगा ,जैसे तैसे करके बाकी जवानों से जाट रेजिमेंट की टीम पूरी की गयी और खेल मोहतस्व शुरू हुआ नए युवा चहरों ने विपक्षी टीम के प्रोफेसनल खिलाड़ियों के छक्के छुड़ा दिए ,हॉकी और कब्बडी टीम में कम खिलाड़ी खेलते हुए भी शानदार खेल दिखाया और जीत हासिल की ,उस वक्त जाट सेंटर में एक आयरिस अधिकारी डेसमंड हाइड ने अपने संबोधन में कहा था जिनकी कड़क हिंदी पश्चिमी यूपी और हरयाणवी बोली जैसी परिपक्व थी उन्होंने कहा - कि ये जाट है खुद में विराट है इनके अनोखे ठाट है कर्म मिशाले लाट हैं मैंने पिछली 2 सालों में 12 सितंबर 1948 से जब से इस जाट रेजिमेंट शाखा को जॉइन किया है इन जाटों को नजदीक से जाना है ये अद्भुत नस्ल है मैं चाहकर भी इन जाट नस्ल के सूरमाओं से दूर नहीं जा सकता इनकी विरली विरासत है इनकी ताकत मजबूत कभी ना हार मानने वाला जज्बा दुनिया की किसी भी दहसत से टकराने का जुनून गजब का है आज मुझे  उम्मीद नहीं थी के जाट रेजिमेंट के खिलाड़ी कोई भी मैडल जीत पाएंगे लेकिन हैरानी कि बात है जिन जाट सैनिकों को मैंने कभी खेल के मैदान में नहीं देखा उन्होंने प्रोफेसनल खिलाड़ीयो को हल्के अंदाज में ही हरा दिया इसलिए मैं मानता हूं कि एक जाट जाट होता है 2 जाट मौज 3 जाट कंपनी के बराबर होते हैं और 4 जाट तो एक फौज के बराबर होते हैं ,
उस समय किसी ने भी इस युवा आयरिस अफसर की बात को गहराई से नहं लिया लेकिन 1965 की भारत पाकिस्तान युध्द में डोगराई की लड़ाई जिसे दुनिया कि सबसे कठिन जंगो में से एक माना जाता है उस समय डेसमंड हाइड 3 जाट बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर थे
लड़ाई कठिन थी तो उससे पहले जवानों में ऊर्जा के संचार के लिए डेसमंड हाइड ने जाटों को उनके इतिहास से अवगत कराया ,उन्होंने ये भी कहा था कि कोई मुझसे पूछेगा की मुसीबत के वक्त किसी याद करोगे अपने ईश्वर को या फिर अपने जाट रेजिमेंट के जाटों को तो मैं निसंदेह अपने जाटों को याद करूँगा क्योंकि जाट वो मानवीय शक्ति है जो आपको मुश्किल हालात में सुरक्षा देती है लड़ने का जज्बा देती है , 3 जाट की बहादुरी का सबसे बड़ा नमूना ये था कि पाकिस्तान की बलूच बटालियन के सूबेदार मेजर इस्लामुद्दीन ने कहा था कि इतनी बहादुरी और दहसत सिर्फ मेरी पुरानी बटालियन की हो सकती है ,विश्वप्रसिद्ध चित्रकार MF हुसैन ने  खुद युद्ध स्थल पर जाकर जाट बहादुरों और हसमेंड हाइड का एक पोटरेट बनाया था तात्कालिक प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने खुद डोगराई जाकर जाट सैनिकों के बीच देश का प्रसिद्ध नारा जय जवान जय किसान लगाया तो जाट सैनिकों का सम्मान चरम सीमा पर था
इस युद्ध मे भारत के मात्र 500 सैनिक पाकिस्तान के 9 हजार सैनिकों से लडे थे
जाटों के एक पुरानी खासियत रही है जीतने क बाद निशाने के तौर पर कुछ वस्तु साथ ले जाने कि इस युध्द में भी 3 जाट के वीर पाकिस्तान से माइलस्टोन निशानी के तौर पर उखाड़ लाये थे जिसपर लिखा है लाहौर बस 13 किलोमीटर ये आज भी भारतीय सेना के संग्रहालय में सुरक्षित मौजदू है
युद्ध के बाद अपने कई इंटरव्यू में डेसमंड हाइड ने अपनी जीत के लिए कहा था कि एक जाट जाट 2 जाट मौज 3 जाट जाट कम्पनी जाट फौज 
और मेरे पास तो सैकड़ों जाटों की फौज थी तो फिर जीत हमसे भला दूर कैसी हो सकती थी अगर अंतरराष्ट्रीय दवाब भारत पर ना होता तो जाट लाहौर के बाजार में घूम रहे होते
देशमंड हाइड का प्रेम जाट नस्ल से इतना था कि उन्हें मृत्यु के पश्चात जाट रेजिमेंट सेंटर बरेली में ही दफनाया गया
जाट नस्ल तो वो DNA है वो हौसला है वो भरोषा है वो शक्ति है जो दूसरों की खातिर खुद को कुर्बान करने से भी जरा नहीं  हिचकिचाते बशर्ते जाट को उससे अपनापन महसूस हो।