आज हम आपको बताने वाले है दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत कर आये जाट विधायकों के बारे में 
दिल्ली में बात करें तो जाटों के 200 से अधिक गांव है औऱ किसे सत्ता में लाना है किसे हटाना है जाट मुख्य भूमिका में रहते है ।

पार्टी वाइज बात करें तो आम आदमी पार्टी ने 8 जाट उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था तो भाजपा ने 9 जाटों को टिकट दी थी तो वहीं काँग्रेस ने सबसे ज्यादा 10 जाट उम्मीदवारों पर दांव लगाया था
कुल मिलाकर दिल्ली की 70 में से 16 विधानसभा सीटों पर 28 जाट उम्मीदवार मैदान में थे जिनमें से आम आदमी पार्टी द्वारा उतारे गए 8 के 8 जाट उम्मीदवार जीत कर विधानसभा में पहुँचे हैं 
आपको बतातें है कौन कौन जाट MLA बना है और कोनसी सीट से बना है 



पहली सीट हैं 
1.मुंडका 


की जहां से जीत कर आये हैं आप आदमी पार्टी के उम्मीदवार चौ धर्मपाल लाकड़ा जी , यहाँ मुकाबला तीनों जाटों के बीच मे था BJP ने यहां से पूर्व मुख्यमंत्री चौ साहब सिंह वर्मा के भाई चौ आजाद सिंह लाकड़ा के भाई की टिकट दी थी तो कांग्रेस ने यहाँ से चौ नरेश दराल को मैदान में उतारा था जिसमे करीब 20 हजार वोट से धर्मपाल लाकड़ा ने आजाद सिंह को हराया यह सीट 2008 में बनी और तब से ही यहां जाट विधायक ही जीत कर आया है ,2008 में भाजपा से मनोज शौकीन जीते,2013 में निर्दलीय रामबीर शोकीन विजयी रहे तो 2015 में आप पार्टी से सुखबीर दलाल यहाँ से जीत कर विधायक बने हैं।

दूसरी सीट है
2.नांगलोई जाट 

की जहां से जीत कर आये हैं आम आदमी पार्टी के चौ रघुवेन्द्र सिंह शौकीन जोकि लगातार दूसरी बार इस सीट से विधायक बने हैं यहां भी मुकाबला 3 जाटों के बीच ही था आप से रघुवीन्द्र शौकीन,bjp से सुमन लता शौकीन तो कांग्रेस की तरफ से मनदीप शौकीन मैदान में थे जिसमें रघुवीन्द्र शौकीन ने सुमनलता शौकीन को  करीब 12 हजार वोट से हरा कर ये सीट अपने नाम की 1993 से इस सीट पर ज्यादातर जाट ही विधायक बनता आया है 
1993 में भाजपा से देविंदर शौकीन विधायक बने  2003 और 2008 में  लगातार 2 बार कांग्रेस के डॉ बिजेन्दर सिंह शौकीन यहाँ से विधायक बने 2013 में Bjp के मनोज शौकीन यहाँ से जीत कर विधायक बने तो 2015 और 2020 में रघुवीन्द्र शौकीन जीत कर विधानसभा पहुँचे हैं ।


तीसरी सीट है 
3.नजफगढ़ 
की यहां से जीत कर आये हैं आप के चौ कैलाश गहलोत जोकि लगातार दूसरी बार इस सीट से विधायक बने हैं और दिल्ली सरकार में मंत्री भी हैं यहाँ भी मुकाबला 2 जाटों के बीच था BJP ने यहाँ से मैदान में उतारा था यहां से पूर्व विधायक अजीत खरखड़ी को जोकि बिलवान गोत्र के जाट हैं मुकाबले में कैलाश गहलोत ने अजीत खरखड़ी को नजदीकी मुकाबले में 6 हजार वोट से हरा दिया । इस सीट की बात करें तो 2003 से यहां जाट विधायक ही जीत कर विधानसभा गया हैं 2003 में यहां से निर्दलीय रविन्द्र खरब जीते तो 2008 में निर्दलीय भरत सिंह शौकीन यहां से जीते 2013 में अजीत खरखड़ी जीते तो वही 2015 और 2020 में कैलाश गहलोत यहां से जीत कर विधायक बने हैं।

चौथी सीट है  
4.उत्तमनगर
की यहां भी मुकाबला 2 जाटों के बीच था आप की तरफ से मैदान में थे चौ नरेश बाल्यान तो bjp ने उतारा कृष्ण गहलोत को जिसमे नरेश बाल्यान ने कृष्ण गहलोत को करीब 20 हजार के बड़े अंतर से हरा कर दूसरी बार इस सीट से जीत कर विधानसभा गए हैं वह 2015 में भी यहां से जीते थे 

पांचवी सीट है 
5.हरिनगर विधानसभा 
की जहां से जीत कर आई है आप की राजकुमारी ढिल्लों जी जिन्होंने भाजपा के तेजिंदर सिंह बग्गा को करीब 27 हजार के भारी अंतर से हराया था राजकुमारी ढिल्लों पहली बार विद्यायक चुनी गईं हैं

छटी सीट है 
6.बिजवासन विधानसभा

की यहां भी मुकाबला तीन जाटों के बीच था आप की तरफ से भूपिंदर सिंह जून मैदान में थे तो BJP ने यहाँ से 2 बार के पूर्व विधायक सत्यप्रकाश राणा पर ही अपना भरोशा जताया तो कांग्रेस ने प्रवीण राणा को मैदान में उतारा था यहां टक्कर बिल्कुल कांटे की थी जिसमे बेहद करीबी मुकाबले में आप के bs जून ने bjp के सत्यप्रकाश राणा को 753 वोट से हरा दिया । यह सीट 2008 में बनी तब से यहां जाट ही विधयाक बना है 2008 और 2013 में यहाँ से भाजपा के सत्यप्रकाश राणा विधायक बने तो 2015 में आप से कर्नल दिवेन्द्र सिंह सहरावत जीते 2020 में आप के भूपिंदर सिंह जून यहां से विधायक बने हैं 

सातवीं सीट है 
7.आर के पुरम 
की यहां से जीत कर आई हैं आप की प्रमिला टोकस इन्होंने भाजपा के अनिल शर्मा को 11 हजार से हराया और इस सीट से लगातार दूसरी बार विधायक बनी हैं ।

आठवीं सीट है 
8.दिल्ली कैंट
की यहां से जीत कर आये हैं आप के वीरेंदर कादयान  जिन्होंने भाजपा के मनीष सिंह को करीब 10 हजार वोट से हराया । 1993 में बनी इस सीट पर कुल 7 बार चुनाव हुए हैं जिसमे 4 बार विधायक बना है ।1998 में यहां से कांग्रेस की टिकट पर किरण चौधरी विधायक बनी तो 2013 और 2015 में कमांडो सुरेंदर सिंह इस सीट से 2 बार विधायक चुने गए तो 2020 में वीरेंद्र कादयान विधायक बने हैं।

इस तरह कुल 8 जाट विधायक जीत कर विधानसभा में पहुँचे और 1 जाट को कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया है । 


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