• जाट मुख्यमंत्री Jat Chief Minister
दोस्तों नमस्कार स्वागत हम फिर से मौजूद है आपके सामने जाट समाज से जुड़ी जानकारी से परिपूर्ण ब्लॉग(लेख) के साथ।


उत्तर भारत मे पुराने समय से ही जाट राजनीति का दबदबा रहा, यहां के राज्यों में जाटों की पूरी धमक रही, जिनमे हरियाणा ,पँजाब,राजस्थान,
दिल्ली,और उत्तरप्रदेश ऐसे राज्य रहें जहां जाटों का मजबूत प्रतिनिधित्व रहा जोकि अब सिमट सा गया है।

आज हम बात करने वाले है जाट समाज के मुख्यमंत्रीयों की 1947 आजादी के बाद किस  राज्य में कौन और कितने बार जाट मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा ?

कुल मिलाकर बात करें तो 19 जाट मुख्यमंत्री 5 राज्यों में बने हैं और वर्तमान में सिर्फ एक राज्य पँजाब में ही जाट मुख्यमंत्री सत्ता में है ।
पँजाब और हरियाणा ऐसे राज्य हैं जहाँ का मुख्यमंत्री सबसे ज्यादा बार जाट बना है
हरियाणा में 6 जाट मुख्यमंत्री बने तो पँजाब में 10 जाट मुख्यमंत्री बन पाए
उत्तरप्रदेश, दिल्ली और राजस्थान में सिर्फ 1 जाट मुख्यमंत्री बन पाया।
आइए बिना किसी देरी किये बताते हैं आपको कौन कब किस राज्य का मुख्यमंत्री बना

सबसे पहले बात उत्तरप्रदेश की करते हैं 
जहां से एक मात्र जाट मुख्यमंत्री के रूप में चुन कर आये
किसानॉ के मसीहा चौ चरण सिंह 

जी जोकि बाद में देश के गृहमंत्री ,उप प्रधानमंत्री औऱ देश के प्रधानमंत्री भी बने।

चौधरी चरण सिंह जी उत्तरप्रदेश के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री 3 अप्रैल 1967 को बने और करीब एक साल 25 फरवरी 1968 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
उसके बाद 18 फरवरी 1970 को चौधरी चरण सिंह दुबारा से उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने
और 1 अक्टूबर 1970 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
यह तेवतिया गोत्र के जाट परिवार से थे ।

अब बात करें दिल्ली की तो दिल्ली को भी एक जाट मुख्यमंत्री नसीब हुआ 
चौधरी साहिब सिंह वर्मा 

के रूप में जो की भारतीय जनता पार्टी से थे और 27 फरवरी 1966 को दिल्ली के चौथे मुख्यमंत्री बने और करीब पौने तीन साल 12 अक्टूबर 1998 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे। 
ये दिल्ली के ही मुंडका गांव से थे और लाकड़ा गोत्र के जाट थे ।

बात करें राजस्थान की तो यहां पूर्णतः जाटलैंड होने के बावजूद कोई जाट मुख्यमंत्री नहीं
बन सका आपसी फूट और कई अन्य कारणों के कारण लेकिन धौलपुर जाट राज घराने की बहु श्रीमती वसुन्धरा राजे 
एक मात्र जाट बहु के रूप में प्रदेश की 2 बार मुख्यमंत्री बनी।
वसुंधरा राजे जी 8 दिसंबर 2003 को राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी
औऱ पूरे पांच साल प्रदेश की मुख्यमंत्री रही और फिर 2013 के चुनाव से फिर से वापसी की
और मुख्यमंत्री के रूप में 5 साल कार्यकाल पूरा किया ।वसुंधरा राजे स्वयं मध्यप्रदेश के सिंधिया राज परिवार से और उनका विवाह धौलपुर के जाट राजपरिवार में हुआ जोकि बमरोलिया गोत्र की रियासत है और राणा उपाधि उन्हें मिली हुई है।

अब बात करते हैं हरियाणा की जहां से 6 जाट मुख्यमंत्री बने 
जिनमे हरियाणा के 3 लाल चौ बंसीलाल ,चौ देविलाल और चौ भजनलाल 

और उनके परिवारों का ही अधिक वर्चस्व रहा। 
1966 में जब पँजाब से अलग होकर हरियाणा प्रदेश बना तो उसके शुरू के दो मुख्यमंत्री गैर जाट रहें ,
लेकिन कार्यकाल बहुत ज्यादा दिनों का नहीं रहा जाटलैंड कहे जाने वाले हरियाणा को 1968 में चौ बंसीलाल 


के रूप में पहला जाट मुख्यमंत्री मिला जिहोने सभी वर्गों को साथ लेकर हरियाणा का चोहमुखी विकाश किया और हरियाणा विकाश पुरुष के रूप में अपनी एक अलग पहचान लोगों के बीच मे बनाई ,ये लेघा गोत्र के जाट परिवार से थे । चौ बंसीलाल कुल 3 बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे पहली बार जब 1968 में 
मुख्यमंत्री बने तो करीब 7 साल तक कुर्सी पर काबिज रहे 
1986 में कांग्रेस से ही दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और 1996 में अपनी ही बनाई हरियाणा विकास पार्टी से 3 मुख्यमंत्री रहे ।

1977 में हरियाणा को पांचवा और जाट समाज को दूसरा मुख्यमंत्री चौ देवीलाल
के रूप में मिला जब उन्हें जनता पार्टी की तरफ से प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया अपने पहले कार्यकाल में करीब 2 साल मुख्यमंत्री बनकर प्रदेश में काम किया उनके किये गए कार्यों के किये आज भी लोग उन्हें ताऊ देवीलाल के नाम से जानते हैं।

चौ देवीलाल 1987 में दुबारा से प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और करीब डेढ़ साल मुख्यमंत्री रहने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद अपने पुत्र चौ ओमप्रकाश चौटाला को सौंप कर केंद्र की राजनीति में पूर्ण रूप से सक्रिय होगये ये सिहाग गोत्र के जाट थे ।

हरियाणा प्रदेश को छटा और जाट समाज को तीसरा मुख्यमंत्री चौ भजनलाल 

के रूप में जब 1979 में जनता पार्टी की तरफ से चौ देवीलाल की जगह इन्हें मुख्यमंत्री पद दिया गया। करीब 7 महीने ये जनता पार्टी से मुख्यमंत्री रहे उसके बाद 1980 के चुनावों में कांग्रेस के साथ जाकर 1986 तक करीब 6 साल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और इनका तीसरा कार्यकाल भी 1991 में कांग्रेस पार्टी की तरफ से ही 5 साल का रहा ये मांझू गोत्र के विश्नोई पंथ के जाट थे  
हरियाणा में इन्हें जाट होते हुए भी गैर जाट की राजनीति करने के लिए जाना जाता है ।

हरियाणा प्रदेश को सातवां और जाट समाज को चौथा मुख्यमंत्री 1989 में चौ ओमप्रकाश चौटाला 

के रूप में मिला जब चौ देवीलाल केंद्र की राजनीति में सक्रिय होगये तो प्रदेश की सत्ता चौ ओमप्रकाश चौटाला के हाथ आयी जो की जनता पार्टी की तरफ से करीब 3 महीने मुख्यमंत्री रहें 
बीच मे 2 महीने के लिए जनता पार्टी ने बाबू बनारसी दास गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया और फिर से दूसरी बार मुख्यमंत्री पद पर चौ ओमप्रकाश चौटाला की वापसी हुई लेकिन सिर्फ 6 दिनों के लिए जनता पार्टी ने फिर मुख्यमंत्री बदल दिया ।

17 जुलाई 1990 को प्रदेश को आठवा और जाट समाज को पांचवा मुख्यमंत्री चौ हुकुम सिंह फोगाट 

जी के रूप में मिला
जोकी करीब 9 महीने प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे ।
 
22 मार्च 1991 को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर फिर से वापसी हुई चौ ओमप्रकाश चौटाला की समाजवादी जनता पार्टी की तरफ से मात्र 16 दिनों के मुख्यमंत्री के रूप में ,चौ ओमप्रकाश चौटाला छोटे छोटे टुकड़ों में अब तक प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री बन चुके थे लेकिन लम्बा कार्यकाल उन्हें 24 जुलाई 1999 में जब वो अपनी बनाई गई पार्टी इनेलो से चौथी बार मुख्यमंत्री बने और 6 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे । सबसे ज्यादा बार मुख्यमंत्री बनने का रेकॉर्ड भी हरयाणा में उन्हीं के नाम दर्ज है

अब बात करते हैं प्रदेश के हरियाणा के 9वें और जाट समाज के 6ठे मुख्यमंत्री चौ भूपिंदर सिंह हूडा 

जी की जोकि 5 मार्च 2005 को कांग्रेस की तरफ स मुख्यमंत्री बनाये गए औऱ अपने पहले पांच साल में 
हरियाणा का भरपूर विकास किया जिसकी वजह से इन्हें 2009 में फिर से प्रदेश की जनता ने चुना अपने दोनों कार्यकाल में करीब साढ़े 9 साल मुख्यमंत्री रहे इनके खेलों में किये गए क्रांतिकारी प्रयासों के
लिए खिलाड़ी इनकी आज भी तारिफ करते हैं

ये थे हरियाणा प्रदेश के 6 जाट मुख्यमंत्री अब बात करते हैं जाटों के सबसे मजबूत गढ़ पँजाब की जहां से जाट समाज के 10 मुख्यमंत्री रहें है और वर्तमान में भी अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ही मुख्यमंत्री है 1966 में जब पँजाब के टुकड़े हुए एक गैर जाट मुख्यमंत्री बना 1 साल के लिए और तब से 1967 के बाद मात्र एक मुख्यमंत्री ही गैर जाट रहा है वरना सभी जाट मुख्यमंत्री ही सत्ता में काबिज रहें है पार्टी चाहे कोई भी रही हो ।

पँजाब को सबसे पहले सिख और जाट मुख्यमंत्री मिले सरदार प्रताप सिंह कैरों


के रूप में जोकि पहले मुख्यमंत्री थे जिन्होंने अपना 5 साल का कार्यकाल बिना किसी रुकावट के पूरा किया था कैरों जी 23 जनवरी 1956 को काँग्रेस मुख्यमंत्री बनाये गए और करीब साढ़े 8 साल लगातार पँजाब के मुख्यमंत्री रहे 1964 में उन्होने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था कैरों जी अमृतसर के कैरों गांव से ढिलों गोत्र के थे और किसानों के बड़े प्रबभशाली नेता रहे ।

1966 के बाद बने नए पँजाब बना तो पँजाब को दूसरा जाट मुख्यमंत्री सरदार गुरनाम सिंह


के रूप में मिला जोकी पँजाब के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने 8 मार्च 1967 को और करीब 9 महीने मुख्यमंत्री रहें अकाली दल ,कम्युनिस्ट पार्टी और जनसंघ के गठबंधन चेहरे के रूप में। फरवरी 1969 में वह फिर से मुख्यमंत्री रहे करीब 1 साल और कुल 2 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने गुरनाम सिंह जी ग्रेवाल गोत्र के जाट थे 

पँजाब के तीसरे जाट मुख्यमंत्री बने सरदार लक्ष्मण सिंह गिल 
जी जोकी 25 नवम्बर 1967 को पँजाब जनता पार्टी और कॉंग्रेस के गठबंधन से मुख्यमंत्री बने और करीब 9 महीने का इनका कार्यकाल रहा ।

पँजाब के चौथे जाट मुख्यमंत्री बने सरदार प्रकाश सिंह बादल 


जी उन्हें  27 मार्च 1970 को अकाली दल और जनसंघ के गठबंधन से मुख्यमंत्री बनाया गया था वह अपने पहले कार्यकाल में करीब 1 साल 2 महीने मुख्यमंत्री रहे।

6 साल बाद 1977 में फिर से दुबारा मुख्यमंत्री रहे और इस बार उनका कार्यकाल करीब 3 साल का रहा । 1980 में इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए इन्हें लंबा इन्तजार करना पड़ा और फरवरी 1997 में 17 साल बाद पँजाब के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने अकाली दल और भाजपा गठबंधन से और पूरे 5 साल मुख्यमंत्री रहें उसके बाद 2002 में इनकी सरकार नहीं बनी ,लेकिन 2007 में फिर से अकाली दल की वापसी हुए और बादल प्रदेश के चौथी बार मुख्यमंत्री बने और 2012 क चुनावों में भी जीत दर्ज करके 10 साल मुख्यमंत्री रहे। सरकार प्रकाश सिंह जी बादल गाम से है और ढिल्लों गोत्र के जाट है और पंजाब म सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड भी इन्हीं नाम है

पँजाब के पाँचवे जाट मुख्यमंत्री बने सरदार दरबारा सिंह

जी जोकि जोहल गोत्र के जाट थे । 6 जून 1980 को इन्हें कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री बनाया गया,और करीब 3 साल 3 महीने पँजाब के मुख्यमंत्री बने रहे जब पँजाब बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा था 1983 में कानून व्यवस्था विफल होने के कारण इन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा ।

करीब 2 साल राष्ट्रपति शासन के बाद पँजाब में अकाली सरकार बनी और पँजाब को छटा जाट मुख्यमंत्री सरदार सुरजीत सिंह बरनाला 

के रूप में मिला जोकि धालीवाल गोत्र के जाट हैं
करीब 2 साल मुख्यमंत्री रहे ये वो दौर था जब पँजाब के हालत अच्छे नहीं थे हालत फिर बिगड़े और जून 1987 में फिर से राष्ट्रपति शासन लागू करदिया गया जोकी करीब 5 साल लागू रहा और पँजाब के इतिहास में सबसे लम्बा राष्ट्रपति शासन था ।

5साल के राष्ट्रपति शासन के बाद कांग्रेस की सरकार बनी और पँजाब को सरदार बेअंत सिंह 

के रूप में सातवां मुख्यमंत्री मिला जोकि साढ़े तीन साल तक मुख्यमंत्री बने रहे लेकिन 31 अगस्त 1995 को मुख्यमंत्री रहते ही इनकी हत्या करदी गयी बेअंत सिंह जी झज्ज गोत्र के जाट थे ।

बेअंत सिंह जी के मत्यु के बाद जाट समाज की तरफ पँजाब के आठवें मुख्यमंत्री सरदार हर चरण सिंह बराड़

जी बने उनको कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री बनाया और करीब 1 साल 2 महीने कार्यकाल के बाद निजी कारणों का हवाला देकर उन्होंने इस्तीफा दे दिया 

नवंबर 1996 में कांग्रेस पार्टी की तरफ से राजिंदर कौर भट्टल जी को मुख्यमंत्री बनाया गया तो पँजाब को 9वां जाट मुख्यमंत्री मिला ,

तो राजिंदर जी को पहली औऱ एक मात्र महिला मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला वह सिर्फ 82 दिन ही मुख्यमंत्री रही थी जोकि पँजाब में सबसे कम समय का कार्यकाल है। 
इनका गोत्र भट्टल है औऱ शादी इनकी सिद्धू परिवार में हुई है।

पंजाब को दसवां जाट मुख्यमंत्री 2002 में पटियाला के महाराजा और अखिल भारतीय जाट महासभा के अध्यक्ष कैप्टेन अमरिंदर सिंह सिद्धू जी के रूप में  मिला 

वह कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री बनाये गए औऱ पूरे 5 साल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे 2007 में अकाली सरकार बनी और उन्हें फिर से मुख्यमंत्री बनने के लिए 10साल का इंतजार करना पड़ा औऱ 2017 में फिर कैप्टेन दा पँजाब नारे के साथ उतरे और अच्छी जीत दर्ज करके दुबारा प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और वर्तमान में भी पँजाब के मुख्यमंत्री हैं ।

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जय हिंद जय भारत जय जाट एकता