Ludesar: More than 141 soldiers from this village went to World War.
हरियाणा के सिरसा जिले में स्तिथ लुदेसर गांव जिसे 100 वर्षों से भी अधिक पूर्व राजस्थान से आये चौ लादूराम ने बसाया था यह एक ऐतिहासिक गांव हैं 1914-19 में हुए पहले विश्व युद्ध मे इस गांव से 41 लोग गए थे जिसमें से 2 शहीद हुए और दूसरे विश्वयुद्ध में 101 से भी अधिक लोगों ने इस गांव से भाग लिया था जिसमे 11 लोग शहीद हुए और 5 व्यक्ति उस दौरान आजाद हिंद फौज में शामिल होगये (बाला राम, मामा राम, बद्री राम, तुलसी राम और राम कृष्ण ) गांव की मुख्य आबादी खेती और फौज में ही है ,लेकिन गाँव के बुजुर्ग बताते है कि लगभग दो दशक पहले खुली भर्ती की समाप्ति के बाद से गाँव के सेवारत पुरुषों की संख्या में भारी गिरावट आई है । अंग्रेजी सरकार में खुश ने खुश होकर इस गांव में एक कुआं बनाने के लिए 5 हजार रुपए की राशि दी गयी और गांव में एक डाकघर का भी निर्माण कराया गया ।
स्वतंत्रता के बाद भी गाँव के लोगों ने विभिन्न युद्धों में अपना विशेष योगदान दिया है 1962 के भारत-चीन युद्ध में इस गांव से 42 ने लोगों ने भाग लिया था। जबकि 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में, गाँव के 36 पुरुषों ने भाग लिया था। इस युद्ध मे सूबेदार विजय सिंह ने अपने जीवन का बलिदान दिया ।
गाँव में कई स्मारक हैं, जो अपने वीर बहादुरों की विरासत की घोषणा करते हैं, जो देश की रक्षा के लिए सेना में शामिल होने के लिए अपने युवाओं को दृढ़ता से आकर्षित करते हैं।
प्रथम विश्व युद्ध में इस गांव के योगदान को स्वीकार करते हुए, तत्कालीन ब्रिटिश भारतीय सेना ने गांव के केंद्र में एक स्मारक स्थापित किया। जिसपर लिखा है, “गाँव से 41 लोग 1914-1919 के महान युद्ध में गए थे। इनमें से दो ने अपनी शहादत दे दी ”। इसके अलावा, गांव की बहादुरी के उपहार स्वरूप दिल जीतने की दृष्टि से तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने गांव का पूरा कर माफ कर दिया था। द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद, ब्रिटिश सरकार ने एक बार फिर एक स्मारक बनाकर इस गांव के निवासियों के बलिदान को स्वीकार करना पड़ा।
दूसरे स्मारक में हिंदी का एक शिलालेख है। इस पर लिखा है कि द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) में, गाँव के 101 लोगों ने भाग लिया था। उनमें से 11 शहीद हुए हैं। जाट बहुल इस गांव में जाटों के करीब 8 गोत्र हैं जिनमे गाट गोत्र मुख्य है ( गोदारा,जाखड़,सहारण,साहू,माकड़, सिहाग, और कुछ घर बेनीवाल गोत्र के भी हैं)।
पुरुषों के साथ साथ गांव की महिला भी पीछे नहीं है गांव की बेटी रेणु भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट है तो वहीं गांव की सरपंच कुमारी योगेश गाट हैं।
इस गांव ने कई स्वतंत्रता सेनानियों का उत्पादन किया है
This village has produced a number of freedom fighters.
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