कारगिल में शहीद हुए पवित्र श्योराण का जन्म नारनौंद उपमंडल के गांव मिल्कपुर में 9 अगस्त 1978 को एक फौजी के घर में हुआ था। उनके पिता स्व: किताब सिंह जब भी आर्मी से छुट्टी लेकर घर आते थे तो पवित्र बचपन में उनसे खिलौनों में भी बंदूक मांगते थे। बंदूक लेकर वह अपने पिता से कहता कि मैं बड़ा होकर फौजी बनूंगा और आपकी तरह सरहद पर दुश्मनों को मारकर देश सेवा करूंगा। 


शिक्षा 

पवित्र ने गांव के ही सरकारी स्कूल से अपनी 10वीं पास की। 11वीं में पढ़ाई के लिए उन्होंने राखी शाहपुर की वोकेशनल में पढ़ाई शुरू की। पढ़ाई के साथ खेलों में भी पवित्र हमेशा आगे रहता था। 29 फरवरी 1996 को आठ जाट रेजिमेंट में भर्ती होकर बचपन के अपने सपने को साकार कर दिखाया।

वीरता और शहादत

9 जुलाई 1999 को 11 दुश्मनों को मौत के घाट उतारने के बाद देश के लिए लड़ते हुए शहीद हो गए। यह इत्तफाक ही है कि शहीद पवित्र की जन्म व शहादत की तारीख नौ ही है। शहीद पवित्र की मां व उसके परिजन उसके जन्मदिन व शहादत पर हर वर्ष खेल व अन्य कार्यक्रम करवाते हैं।

बचपन से ही देशसेवा का जज्बा था, इसलिए पढ़ते-पढ़ते ही आर्मी में भर्ती में भर्ती हो गया। इस बात पर गर्व है कि मेरा बेटा देश के 11 दुश्मनों को मारकर शहीद हुआ है। पवित्र जैसे बहादुर देश पर मर मिटने वाले बच्चे सभी माताओं की कोख से पैदा हों, ताकि देश की सेवा कर सकें। -सुजानी देवी, शहीद पवित्र की मां।

पवित्र कुमार बचपन से ही विनम्र स्वभाव के थे। घर वाले अगर किसी बात पर गुस्सा हो जाते थे तो पवित्र उसका जवाब हंसते हुए देते थे। 1985 में उनके पिता किताब सिंह सात केवलरी आर्मी से सेवानिवृत्त हुए, तब उनसे ही उसने सेना में भर्ती होने व देश की सेवा करने का जज्बा पैदा हो गया।- प्रदीप व सवित्र, शहीद के भाई।

देश सेवा का जज्बा उसे अपने पिता से विरासत में मिला था। फौजी पिता के घर जन्म होने के कारण उनके संस्कार में ही राष्ट्र प्रेम की भावना भर गई थी। अपने सपने को साकार कर उन्होंने अपने गांव व देश का नाम रोशन किया।- सुल्तान सिंह, शहीद पवित्र के दादा

दोबारा हो स्मारक का निर्माण

शहीद पवित्र कुमार के भाई सवित्र श्योराण ने कहा कि पवित्र की याद में गांव में स्मारक का निर्माण करवाया गया था। किसी शरारती तत्व ने शहीद की प्रतिमा को 28 अप्रैल 2018 को खंडित कर उनके हाथ में बनी बंदूक को क्षतिग्रस्त कर दिया। पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ लीपापोती की।