SAIDPUR BULANDSHAHR WEST UP JATLAND 



फौजियों का गांव सैदपुर बुलंदशहर अनेक शहादातो का गवाह। अंगेजी काल से लेकर कारगिल युद्ध तक इस गांव में शहीदों की लंबी लिस्ट है। वतन पर जान तक कुर्बान करने का जो जज्बा किसी गांव में भरा था, वह यही गांव है। यहां शहीदों की मजारों पर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक आते जाते रहे हैं। यह जाट योद्धाओं का ऐसा तीर्थ है, कि  जहां विधवाओं आंसुओ से यह गांव दहाड़े मारकर बिलक बीलक कर रोता रहा है। यह गांव देश की राजधानी से करीब 90 किमी की दूर और बुलन्दशहर जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर बसे गांव सैदपुर में शौर्य, साहस और मातृभूमि के लिए जान तक न्यौछावर करने की परंपरा पुरानी है। यहां हर परिवार फौजी का परिवार है। एक दूसरे-तीसरे घर में शहीदों के अदम्य साहस की महागाथा मिलेगी। अंग्रेजी हुकूमत काल की बात करे या आजादी के बाद की। इस गांव के जवानों ने शौर्य, वीरता एवं शहादत की ऐसी इबारत लिखी है। कि इस गांव को फौजियों के गांव के नाम से जाना जाता है।
पराक्रम और बहादुरी का सिलसिला विश्वयुद्ध वर्ष 1914 से ही शुरू हुआ।
पिछले सौ साल के इतिहास की बात करें तो पराक्रम का सिलसिला विश्वयुद्ध वर्ष 1914 से शुरू होता है। इसमें अकेले इस गांव से 155 सैनिक जर्मनी गए थे, जिनमें से 29 शहीद हो गए और 100 जवान वहीं बस गए। जहां निवास किया उसका नाम जाटलैंड रखा। 1962 के भारत-चीन युद्ध हो या फिर 1965 और 1971 के युद्ध में इस गांव के सैनिकों ने बहुत आहुति दी थी। नोसेना, वायुसेना और मिलेट्री में भर्ती होना यहां के खून में ही बसा है। सैदपुर ने हर लड़ाई में आहुति दी है। यह गांव 171 शहीदों की लम्बी फेहरिस्त का गवाह है। 1971 के युद्ध में विजय सिरोही व मोहन सिरोही एक ही दिन शहीद हुए थे।
1965 की लड़ाई में सैदपुर के सुखबीर सिंह सिरोही को परमवीर चक्र मिला था। इसके अलावा सैदपुर की आंचल में शौर्य एवं साहस के लिए देश-प्रदेश से मिले दर्जनों मेडल है।
केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्री रहते इंदिरा गांधी भारत-पाक युद्ध में शहादत देने वाले लेफ्टिनेंट सुखबीर सिंह सिरोही का अस्थि कलश लेकर स्वयं पहुंची थीं। सैदपुर गांव के बीचों बीच शहीद स्तंभ यहां की गौरव गाथा का बखान करता है। तो वहीं मेन रोड पर मिलेट्री हिरोज मेमोरियल इंटर कॉलेज यहां के नवयुवकों को देश के प्रति एक अलग साहस जगाता है। गांव में फौजियों की करीब 250 से ज्यादा विधवाएं है। सलाम है ऐसे गांव को जिसन
 देश को ऐसे वीर योद्धा दिए। कारगिल में यहाँ के 5 जवान शहीद हुए थे ।